मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर
(Ma Vindhyavasini Temple, Yamkeshwar)
उत्तराखंड के ऋषिकेश से १० किमी और गंगा भोगपुर से ५ किमी दूर, ताल घाटी, यमकेवश्वर ब्लॉक मैं राजाजी नेशनल के जंगल में मणिकूट पर्वत श्रृंखलाओं मैं नीलपर्वत के कजरी वन मैं स्थित है मां विंध्यवासिनी देवी का मंदिर। यह मंदिर सिद्धि साधना के लिए भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब कंस वासुदेव और देवकी की सातों सन्तानो का वध करने के बाद यसोधा की बेटी का वध करने का प्रयास करता है तो वह कन्या भविष्याणि करती है तुझे मारने वाला इस धरती मैं जन्म ले चूका है उसके बाद वह इसी स्थान पर गिरी थी. यहां पर गुड़ की भेली चढ़ाने और मां विंध्यवासिनी के दर्शन मात्र करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही माता सभी की मनोकामनाएं भी पूरी करती हैं, मंदिर नीलपर्वत पर स्थित है जिसके नीचे दो क्षेत्रों से नदिया आकर मिलती है एक तरफ त्योड़ो है और दूसरी तरफ से ताल घाटी है यहाँ पर इन दो नदियों का संगम भी होता है, जो आगे जाकर गंगा मैं मिलती है, हालाँकि गर्मियों मैं इतना पानी नहीं होता है परन्तु बरसात मैं दोनों नदियां उफान पर होती है, बरसात मैं यहाँ आना थोड़ा मुश्किल होता है यदि ज्यादा बरसात हो तो पहले जानकारी लेकर ही यहाँ आएं। वही से लगभग ४००-५०० (लगभग 3०० मीटर चढ़ाई) सीढ़ियों को चढ़कर मंदिर तक पंहुचा जा सकता है,
माँ विंध्यवासिनी स्तुति
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी।बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥त्रिशूल मुण्ड धारिणी, धरा विघात हारिणी।गृहे-गृहे निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥दरिद्र दुःख हारिणी, सदा विभूति कारिणी।वियोग शोक हारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥लसत्सुलोल लोचनं, लतासनं वरप्रदं।कपाल-शूल धारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥कराब्जदानदाधरां, शिवाशिवां प्रदायिनी।वरा-वराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनी॥कपीन्द्न जामिनीप्रदां, त्रिधा स्वरूप धारिणी।जले-थले निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥विशिष्ट शिष्ट कारिणी, विशाल रूप धारिणी।महोदरे विलासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥पुंरदरादि सेवितां, पुरादिवंशखण्डितम्।विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीं॥॥ इति श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र सम्पूर्ण ॥
कैसे पहुंचे (How to Reach Vindhyavasini Temple)
इस मंदिर मैं आने के लिए आपको अपने वाहन से आना होगा, सार्वजानिक साधानों की सुविधा भी है परन्तु वे केवल समय समय पर चलते है, परन्तु ध्यान दें रास्ता राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरता है तो जंगली जानवरों विशेषकर हाथियों की आवाजाही देखने को मिल सकती है इस बात का विशेष ध्यान रखें, ऋषिकेश से लगभग १५-२० किमी और हरिद्वार से २५-३० किमी दुरी पर स्थित है, ऋषिकेश या हरिद्वार से आते हुए चीला मार्ग से गंगा भोगपुर नामक स्थान से ऋषिकेश से आते हुए बांये और हरिद्वार से आते हुए दाएं ओर मुड़ें, आगे लगभग २ किमी ऊपर दो मार्ग मैं से बाए वाला मार्ग विदासनी नामक स्थान पर पहुँचता है, यहाँ से लगभग ३०० मीटर आपको पैदल जाना होगा।
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