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November 24, 2016

Gindi Ka Mela (पर्वतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है गेंद मेला)

पर्वतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है गेंद मेला

(Gend Mela / Gindi Mela / Kauthig)

उत्तराखंड राज्य मैं कई प्रकार की विरासतें है, देवभूमि के नाम से जाना जाता है उत्तराखंड, यहाँ धार्मिक मेलों के साथ साथ कई सांस्कृतिक, पारंपरिक मेलों का आयोजन भी होता है, उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में मेलों की सदियों पुरानी परंपरा है और हर मेले की अपनी-अपनी विशेषताएं होती है। एक ऐसा ही मेला है गेंद मेला जो मकर संक्रांति के पर मनाया जाता है जो कि उत्तराखंड की परंपराओं का प्रतीक बन गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले मेले आपसी मेल-मिलाप और खरीददारी के उद्देश्य से किया जाता है। मेलों में दूर दर्ज से लोग खरीददारी के लिए आते हैं। उस से ज्यादा आकर्षण के केंद्र होते है जिस उद्देश्य के लिए मेला लगते है, 
Ball used for playing Gend Mela
गेंदमेला मैं खेली जाने वाली गेंद

राज्य के गढ़वाल के अधिकतर स्थानों में मकरसंक्रांति को एक अनोखा खेल खेला जाता ही| इस खेल का नाम ही गेंद मेला| यह एक सामूहिक शक्ति परीक्षण का मेला है|इस मेले में न तो खिलाडियों की संख्या नियत होती ही न इसमें कोई विशेष नियम होते हैं. बस दो दल बना लीजिये और चमड़ी से मढ़ी एक गेंद को छीन कर कर अपनी सीमा में ले जाइये.परन्तु जितना यह कहने सुनने में आसन है उतना है नही, क्योंकि दूसरे दल के खिलाड़ी आपको आसानी से गेंद नहीं ले जाने देंगे|बस इस बस इस गुत्थमगुत्था में गेंद वाला नीचे गिर जाता है जिसे गेन्द का पड़ना कहते है|गेन्द वाले से गेंद छीनने के प्रयास में उसके ऊपर न जाने कितने लोग चढ़ जाती हें| कुछ तो बेहोश तक हो जाते हैं| ऐसी लोगो को बाहर निकल दिया जाता है| होश आने पर वे फिर खेलने जा सकते हैं|जो दल गेन्द को अपनी सीमा में ले जाते हैं वहीं टीम विजेता मानी जाती है | इस प्रकार शक्तिपरीक्षण का यह अनोखा खेल 3 से 4 घन्टे में समाप्त हो जाता है यहां कि पारंपरिक गेंद खेल का रोमांच और आकर्षण। ये खेल विश्व का सबसे अनुठा खेल है, इस खेल की सबसे अनुठी बात यह है कि खेल में ना तो खिलाड़ियों की संख्या तय होती है और ना ही खेल के मैदान की सीमायें, यहां तक कि लंबे फिल्ड में खेले जाने वाले इस खेल में ना कोई नियम है और ना कोई रेफरी। 
Team playing Gend Mela
थलनदी गेंद मेला का दृश्य

माना जाता है कि इस खेल का उद्भव यमकेश्वर ब्लाक व् दुगड्डा ब्लाक की सीमा थलनदी नमक स्थान पर हुआ जहाँ मुगलकाल में राजस्थान के उदयपुर अजमेर से लोग आकर बसे हें इसलिए यहाँ की पट्टियों (राजस्व क्षेत्र) के नाम भी उदेपुर वल्ला,उदेपुर मल्ला,उदेपुर तल्ला एवम उदेपुर पल्ला (यमकेश्वर ब्लाक) व अजमीर पट्टिया(दुगड्डा ब्लाक)हैं | थलनदी में यह खेल आज भी इन्हीं लोगो के बीच खेला जाता है|

1 comment:

  1. Char Dham Yatra is an important Hindu pilgrimage tour in the Indian Himalayas. Located in the Garhwal region of Uttarakhand.

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