Rudraprayag, Uttarakhand
(जिला : रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड)
जनसंख्या - 2,242 (2001 के अनुसार )
ऊँचाई (AMSL) - 895 मीटर (2,936 फी॰)
आधिकारिक website : rudraprayag.nic.in
16 सितंबर 1 99 7 को स्थापित किया गया था। यह अलकनन्दा और मंदाकिनी दो नदियों के संगम पर स्थित है। रुद्रप्रयाग, पंच प्रयागों में से एक है और अलकनंदा नदी के पांच संगम में से एक हैं। रुद्रप्रयाग को प्राकृतिक सौन्दर्य उपहार स्वरुप प्राप्त हुआ है जो जलवायु क्षेत्र की ऊंचाई पर निर्भर करता है। जिले को तीन निकटवर्ती जिलों के निम्नलिखित क्षेत्रों से बनाया गया था। अगस्तमुनी और उखीमठ ब्लॉक को पूर्ण रूप से एवं पोखरी एवं कर्णप्रयाग ब्लॉक का कुछ हिस्सा चमोली जिले से लिया गया है। जखोली और किर्तीनगर ब्लॉक का हिस्सा टिहरी। खिरसू ब्लॉक का हिस्सा पौडी जिले से लिया गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्ञात श्री केदारनाथ मंदिर उत्तर में स्थित है , पूर्व में मदमहेश्वर, दक्षिणी पूर्व में नगरासू और ठीक दक्षिण में श्रीनगर हैं। केदारनाथ से उत्पन्न पवित्र मंदाकिनी नदी जिले की मुख्य नदी है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-
केदारनाथ मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो पांडवों द्वारा निर्मित किया गया और आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्जीवित किया गया है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, शिव के सबसे पवित्र हिंदू तीर्थस्थानों में से एक है। माना जाता है कि पांडवों ने केदारनाथ में तपस्या करके शिव को प्रसन्न किया था। केदारनाथ मंदिर, मंदाकिनी नदी के निकट गढ़वाल हिमालय पर्वत पर है। विषम मौसम एवं बर्फबारी के कारण , मंदिर केवल अप्रैल के अंत (अक्षय त्रित्रिया) से नवम्बर (कार्तिक पूर्णिमा – शरद ऋतु पूर्णिमा) तक खुला रहता है। सर्दियों के दौरान, केदारनाथ मंदिर से विग्रहों (देवताओं) को उखीमठ में लाया जाता है और इस दौरान यंहा पर पूजा की जाती है
आकर्षण
अगस्त्यमुनि
रूद्रप्रयाग से अगस्त्यमुनि की दूरी 18 किलोमीटर है। यह समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। यह वहीं स्थान है जहां ऋषि अगस्त्य ने कई वर्षों तक तपस्या की थी। इस मंदिर का नाम अगस्तेश्रवर महादेव ने ऋषि अगस्त्य के नाम पर रखा था। बैसाखी के अवसर पर यहां बहुत ही बड़ा मेला लगता है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और अपने इष्ट देवता से प्रार्थना करते हैं।
गुप्तकाशी-
गुप्तकाशी का वहीं महत्व है जो महत्व काशी का है। यहां गंगा और यमुना नदियां आपस में मिलती है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांण्डव भगवान शिव से मिलना चाहते थे और उनसे आर्शीवाद प्राप्त करना चाहते हैं। लेकिन भगवान शिव पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे इसलिए वह गुप्ताकाशी से केदारनाथ चले गए। गुप्तकाशी समुद्र तल से 1319 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक स्तूप नाला पर स्थित है जो कि ऊखीमठ के समीप स्थित है। कुछ स्थानीय निवासी इसे राणा नल के नाम से बुलाते हैं। इसके अलावा पुराना विश्वनाथ मंदिर, अराधनेश्रवर मंदिर और मणिकारनिक कुंड गुप्तकाशी के प्रमुख आकर्षण केन्द्र है।
सोनप्रयाग-
सोनप्रयाग समुद्र तल से 1829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह केदारनाथ के प्रमुख मार्ग पर स्थित है। सोन प्रयाग प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि सोन प्रयाग के इस पवित्र पानी को छू लेने से बैकुठ धाम पंहुचाने में मदद मिलती है। सोनप्रयाग से केदारनाथ की दूरी 19 किलोमीटर है। यह वहीं स्थान है जहां भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। सोनप्रयाग से त्रियुगीनारायण की दूरी बस द्वारा 14 किलोमीटर है और इसके बाद पांच किलोमीटर पैदल यात्रा करनी होगी।
खिरसू-
बर्फ से ढ़के पर्वतों पर स्थित खिरसू बहुत ही खूबसूरत स्थान है। यह जगह हिमालय के मध्य स्थित है। इसी कारण यह जगह पर्यटकों को अपनी ओर अधिक आकर्षित करती है। इसके अलावा यहां से कई अन्य जाने-अनजाने शिखर दिखाई पड़ते हैं। खिरसू पौढ़ी से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह समुद्र से 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। खिरसू बहुत ही शान्तिपूर्ण स्थल है। यहां बहुत अधिक संख्या में ओक, देवदार के वृक्ष और फलोघान है।
गौरीकुंड-
सोन प्रयाग से गौरीकुंड की दूरी 5 किलोमीटर है। यह समुद्र तल से 1982 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ मार्ग पर गौरीकुंड अंतिम बस स्टेशन है। केदारनाथ में प्रवेश करने के बाद लोग यहां पूल पर स्थित गर्म पानी से स्नान करते हैं। इसके बाद गौरी देवी मंदिर दर्शन के लिए जाते हैं। यह वहीं स्थान है जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी।
दिओरिया ताल-
यह स्थान चोपटा-ऊकीमठ मार्ग पर स्थित है। जो कि सारी गांव के आरम्भ मार्ग से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह झील चारों तरफ से वनों से घिरी हुई है। चौकम्बा शिखर का पड़ने वाला प्रतिबिम्ब इस झील को ओर अधिक खूबसूरत बनाता है।
चोपता
चोपता गोपेश्वर-ऊखीमठ मार्ग से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गढ़वाल क्षेत्र में स्थित चोपता यहां के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। यहाँ तुंगनाथ का प्राचीन मन्दिर है।
केदारनाथ
केदारनाथ भारत के उत्तरांचल प्रान्त के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। केदारनाथ चार धामों में से एक है। केदार नाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक है। भगवान शिव को केदार के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए इस मंदिर का नाम केदारनाथ रखा गया। केदारनाथ बर्फ से ढ़के ऊंचे-ऊंचे पर्वतों पर स्थित है। केदारनाथ हिमालय पर्वत पर स्थित है। यह हिन्दू धर्म के अनुयाइयों का पवित्र स्थान है।
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