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September 12, 2021

कालीमठ मंदिर (Kalimath Temple, Rudraprayag)

 कालीमठ मंदिर 

(Kalimath Temple, Rudraprayag)

देवभूमि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ की चोटियों से घिरा हिमालय में सरस्वती नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध शक्ति सिद्धपीठ श्री कालीमठ मंदिर स्थित है | यह मंदिर समुन्द्रतल से 1463 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है | कालीमठ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है एवम् इस मंदिर को भारत के प्रमुख सिद्ध शक्ति पीठों में से एक माना जाता है । कालीमठ मंदिर हिंदू “देवी काली” को समर्पित है । कालीमठ मंदिर तन्त्र व साधनात्मक दृष्टिकोण से यह स्थान कामख्या व ज्वालामुखी के सामान अत्यंत ही उच्च कोटि का है । स्कन्दपुराण के अंतर्गत केदारनाथ के 62 अध्धाय में माँ काली के इस मंदिर का वर्णन है | कालीमठ मंदिर से 8 किलोमीटर की खड़ी ऊंचाई पर स्थित दिव्य चट्टान को ‘काली शिला’ के रूप में जाना जाता है

Kalimath Temple, Rudraprayag

इस मंदिर में एक अखंड ज्योति निरंतर जली रहती है एवम् कालीमठ मंदिर पर रक्तशिला, मातंगशिला व चंद्रशिला स्थित हैं | कालीमठ मंदिर में दानवो का वध करने के बाद माँ काली मंदिर के स्थान पर अंतर्ध्यान हो गयी , जिसके बाद से कालीमठ में माँ काली की पूजा की जाती है | कालीमठ मंदिर की पुनर्स्थापना शंकराचार्य जी ने की थी | गांव कालीमठ मूल रूप से और अभी भी गांव ‘कवल्था’ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि भारतीय इतिहास के अद्वितीय लेखक कालिदास का साधना स्थल भी यही रहा है । इसी दिव्य स्थान पर कालिदास ने माँ काली को प्रसन्न कर विद्वता को प्राप्त किया था । इसके बाद कालीमठ मंदिर में विराजित माँ काली के आशीर्वाद से ही उन्होंने अनेक ग्रन्थ लिखे हैं , जिनमें से संस्कृत में लिखा हुआ एकमात्र काव्य ग्रन्थ “मेघदूत” जो कि विश्वप्रसिद्ध है | “रुद्रशूल” नामक राजा की ओर से यहां शिलालेख स्थापित किए गए हैं , जो बाह्मी लिपि में लिखे गए हैं । इन शिलालेखों में भी इस मंदिर का पूरा वर्णन है मंदिर के नदी के किनारे स्थित कालीशीला के बारे में यह मान्यता है कि कालीमठ में माँ काली ने जिस शीला पर दानव रक्तबीज का वध किया , उस शीला से हर साल दशहरा के दिन वर्तमान समय में भी रक्त यानी खून निकलता है | यह भी माना जाता है कि माँ काली शिम्भ , निशुम्भ और रक्तबीज का वध करने के बाद भी शांत नहीं हुई , तो भगवान शिव माँ काली के चरणों के निचे लेट गए थे , जैसे ही माँ काली ने भगवान शिवजी के सीने में पैर रखा , तो माँ काली का क्रोध शांत हो गया और वह इस कुंड में अंतर्ध्यान हो गई , माना जाता है कि माँ काली इस कुंड में समाई हुई है और कालीमठ मंदिर में शिवशक्ति भी स्थापित है |


कैसे पहुंचे (How to Reach Kalimath Temples) 

हवाई मार्ग से (By Air) -  कालीमठ मंदिर उखीमठ से लगभग २० किमी की दुरी पर है, यहाँ पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून मैं जॉलीग्रांट एयरपोर्ट है जो की लगभग २०५ किमी की दुरी पर स्थित है। 

रेल मार्ग से (By Train) - सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश जोकि लगभग १९० किमी की दुरी पर स्थित है, जो की सड़क मार्ग (केदारनाथ - ऋषिकेश राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या १०७ ओर १०७ए द्वारा सीधे जुड़े हुए है। 

सड़क मार्ग से (By Road) - ऋषिकेश - केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या १०७ से कुंड नामक स्थान से दायी ओर १०७ए पर लगभग १९० किमी दूर उखीमठ से लगभग २० किमी दुरी पर स्थित है कालीमठ का मंदिर, उखीमठ से कालीमठ के लिए टेक्सी सुविधा आसानी से मिल सकती है, यहाँ सभी प्रमुख शहरो से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है, रुद्रप्रयाग से भी आपको सीधी टेक्सी सर्विस कालीमठ के लिए मिल सकती है। 




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