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September 12, 2021

झूला देवी मंदिर (Jhula Devi Temple, Ranikhet)

 झूला देवी मंदिर 

(Jhula Devi Temple, Ranikhet)

उत्तराखंड के रानीखेत मैं स्थित झूला देवी का पौराणिक मंदिर। पवित्र मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित हैऔर इसे झूला देवी के रूप में नामित किया गया है क्योंकि यहाँ प्रसिद्ध देवी को पालने पर बैठा देखा जाता है। मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर 700 वर्ष पुराना है और 1959 में मूल देवी चोरी हो गई थी। चिताई गोलू मंदिर की तरह, इस मंदिर को इसके परिसर में लटकी घंटियों की संख्या से पहचाना जाता है। यह माना जाता है कि झूला देवी अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करती हैं और इच्छाऐं पूरी होने के बाद भक्त यहाँ तांबे की घंटी चढाते हैं। प्रमुख त्यौहारों पर ही नहीं बल्कि हर रोज श्रद्धालु लगातार मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते हैं। पर्यटक हर साल काफी संख्या में यहां आते हैं। चैत्र नवरात्र के अवसर पर यहाँ विशेष धार्मिक अनुष्ठान होते है।

Jhula Devi Temple, Ranikhet

झूला देवी का प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केन्द्र है। मान्यता है कि झूला देवी मंदिर की स्थापना करीब 700 साल पहले मानी जाती है। मंदिर में लटकी असंख्य घंटियां अटूट आस्था को बयां करती हैं। करीब 700 साल पहले चौबटिया क्षेत्र के घनघोर जंगल में बड़ी संख्या में चीते, बाघ, शेर व अन्य जंगली जानवरों का वास था। उस दौर में क्षेत्र के ग्रामीण इनके आतंक से बेहद दुखी हो गए। ग्रामीणों व उनके मवेशियों पर आए दिन हमला होने लगा। इसके बाद दुखी ग्रामीणों ने मां की भक्ति की। इस भक्ति से खुश होकर मां देवी ने पिलखोली निवासी एक व्यक्ति को सपने में दर्शन दिए और दबी मूर्ति के बारे में बताया। उस जगह खुदाई में ग्रामीणों को आकर्षक मूर्ति मिली। उसी स्थान पर मां का मंदिर बनाकर मूर्ति स्थापित की गई और कहते हैं कि तब से पूजा-अर्चना शुरू हुई, तो जंगली जानवरों के आतंक से ग्रामीण मुक्त हुए। झूले के पीछे मान्यता है कि एक बार सावन माह में मां ने एक व्यक्ति को फिर स्वप्न में बच्चों की भांति झूले में झूलने की इच्छा जताई। तो ग्रामीणों ने एक झूला तैयार कर मां की मूर्ति उसमें स्थापित कर दी। तभी से मंदिर झूला देवी मां के नाम से विख्यात हो गया। मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि यह मंदिर लगभग 14वीं सदी का है और मंदिर की सन् 1959 में चोरी गई प्राचीन मूर्ति का आज तक पता नहीं चला। आज भी रात को बाघ व गुलदार मंदिर के इर्द-गिर्द विचरण करते हैं, किंतु माता की कृपा से कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। 


कैसे पहुंचे (How to Reach Jhula Devi Temple) 

हवाई मार्ग से (By Air) - सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंत नगर एयरपोर्ट है जो की लगभग ११० किमी की दुरी पर स्थित है।  

रेल मार्ग से (By Train) - सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो की लगभग ७५ किमी की दुरी पर स्थित है ओर काठगोदाम से रानीखेत सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पंहुचा जा सकता है। 

सड़क मार्ग से (By Road) - प्राचीन झूला देवी का मंदिर रानीखेत से ७ किमी दुरी पर है ओर सड़क मार्ग से आसानी से पंहुचा जा सकता है, सभी प्रमुख शहरों से यहाँ के लिए सार्वजानिक परिवहन सेवा उपलब्ध है साथ की टेक्सी सुविधाएं भी हर समय उपलब्ध रहती है, कुमाऊं की हरी-भरी पहाड़ियों में सजी झूला देवी मंदिर चौबटिया गार्डन के पास स्थित है। 



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