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September 12, 2021

कामख्या देवी मंदिर (Kamakhya Devi Temple, Pithoragarh)

कामख्या देवी मंदिर

(Kamakhya Devi Temple, Pithoragarh)

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के झूलाघाट मार्ग पर स्थित पहाड़ी पर एक भव्य मां कामाख्या मंदिर है. यह मंदिर कुसौली गांव की पहाड़ी पर बना हुआ है. पिथौरागढ़ मुख्यालय से इस मंदिर की दूरी 6 किमी है. इस मंदिर की स्थापना 1972 में मदन मोहन शर्मा के प्रयासों से हुई थी. 1972 में मदन मोहन शर्मा ने जयपुर से छः सिरोंवाली मूर्ति लाकर यहां स्थापित की थी. छः नाली में फैले इस मंदिर के निर्माण में 69 माउंटेन ब्रिगेड ने भी अपना सहयोग दिया है. मंदिर में शिव, बटुकदेव, भैरव, हनुमान और लक्ष्मीनारायण की भी मूर्तियां हैं. इस मंदिर की व्यवस्था वर्तमान में भी शर्मा परिवार ही देखता है. कामाख्या मंदिर में नवरात्रि के दिनों दस दिनों तक अखण्ड ज्योति जलाने के साथ अष्टोतर पूजा की जाती है. यहां प्रत्येक नवरात्रि में भोग लगाया जाता है. नवरात्रि के अतिरिक्त यहां मकर संक्रान्ति, जन्माष्टमी, शिवरात्रि में भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. 
Kamakhya Devi Temple, Pithoragarh

पौराणिक मान्यता के अनुसार माता सती ने जब भगवान् शिव का अपमान अपने पिता के द्वारा करने पर यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे, तब भगवान् शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करने लगे थे | पृथ्वी का विनाश होता देख भगवान् विष्णु ने माता सती के मृत शरीर के टुकड़े कर दिए थे | इस दौरान माता सती की योनी और गर्भ (अंग) इस स्थान पर गिरे थे, जहाँ पर माँ कामख्या की मूर्ति स्थापित की गयी है | इस मन्दिर की स्थापना सन 1972 में मदन मोहन शर्मा तथा उनके परिवार के सदस्यों के द्वारा की गयी थी | पहले यहाँ माँ कामख्या का छोटा सा मन्दिर हुआ करता था, किन्तु वर्तमान समय मे माँ कामख्या की कृपा से यह एक भव्य मन्दिर है मदन मोहन शर्मा जी आर्मी में थे,तथा उनकी पोस्टिंग असम में थी | बताया जाता है कि, माँ कामख्या ने उन्हें प्रत्यक्ष दर्शन दिए और जगह बताते हुए यहाँ स्थापित करने को कहा | मदन मोहन शर्मा जी ने माँ कामख्या की 6 सिरों वाली मूर्ती जयपुर से लाकर पिथौरागढ़ में स्थापित की थी | मन्दिर का मुख्य द्वार बंगला शैली में निर्मित है | मान्यता है कि, माँ कामख्या के दर्शन करने पर सारी मुरादें पूरी हो जाती हैं | माँ कामख्या को नारित्व के प्रतीक के रूप में जाना जाता है | माँ कामख्या का मुख्य मन्दिर गुहावटी में स्थित है तथा उत्तराखंड में कामख्या देवी का एकमात्र मन्दिर है | मन्दिर परिसर में माँ कामख्या देवी की मूर्ती के अलावा भगवान् शिव,वटुकदेव,भैरव,हनुमान जी तथा लक्ष्मी नारायण की मूर्ति स्थापित की गयी है | माँ कामख्या के चरणों में मदन मोहन शर्मा जी की फोटो भी रखी गयी है |


कैसे पहुंचे (How to Reach Kamakhya Devi Temple)

हवाई मार्ग से (By Air) -  देवी मंदिर के सबसे नजदीकी हवाई पट्टी नैनी सैनी हवाई पट्टी पिथौरागढ़ है जो की यहाँ से मात्र 5 किमी दूर है। हालाँकि २०२० से यह पट्टी पर एक विमान फिसलने के कारण अभी सञ्चालन बंद है सरकार के प्रयासों से अक्टूबर २०२१ मैं सञ्चालन सुचारु रूप से सुरु हो जायेगा, इसके अतिरिक्त फिर एयरपोर्ट या तो देहरादून या दिल्ली मैं है जोकि लगभग ४५०-५०० किमी दुरी पर स्थित है। 

रेल मार्ग से (By Train) - काठगोदाम जोकि लगभग १८० किमी और टनकपुर जोकि लगभग १५० किमी की दुरी पर सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो की सड़क मार्ग द्वारा जुडी हुई है।  

सड़क मार्ग से (By Road) - पिथौरागढ़ सड़क मार्ग NH9 द्वारा सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है । पिथौरागढ़ से दिल्ली लगभग 503 किमी, नैनीताल से 330 किमी, काठगोदाम से 180 किमी और टनकपुर से 150 किमी दूर है ओर देहरादून से लगभग ५०० किमी दुरी पर है जोकि सड़क मार्ग द्वारा जुड़े हुए है।  


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