नवीनतम अद्यतन

September 15, 2021

नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान (Nanda Devi National Park, Chamoli)

नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान

(Nanda Devi National Park, Chamoli)

Nanda Devi National Park, Chamoli

उत्तर भारत में उत्तराखंड राज्य में हिमालय पर्वत में स्थित नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं, जो एक विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Haritage) हैं। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान अपनी दुर्गमता के कारण कमोबेश स्थिर रहता है। वैली ऑफ फ्लॉवर्स नेशनल पार्क अपने स्थानिक अल्पाइन फूलों और उत्कृष्ट प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। उनमें एक साथ जंसकार और ग्रेट हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच एक अनूठे संक्रमण (ट्रैनजिशन) क्षेत्र शामिल है। समुद्र तल से 3,500 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित इस बायोस्फीयर में नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान शामिल है। रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 5,148.57 किमी (1,987.87 वर्ग मील) है। अपनी अनूठी स्थलाकृति, जलवायु और मिट्टी के कारण इस बायोस्फीयर रिजर्व में विविध आवास, समुदाय और पारिस्थितिक तंत्र और पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियाँ शामिल हैं जो इस क्षेत्र के लिए विशिष्ट हैं। नंदादेवी बायोस्फीयर के वनस्पति और जीव अद्वितीय और संवेदनशील हैं। वन आवरण में समशीतोष्ण वनस्पति पायी जाती है और इसमें देवदार, सन्टी, रोडोडेंड्रोन और जुनिपर्स जैसे पेड़ शामिल हैं। अल्पाइन और जुनिपर स्क्रब को छोड़कर कोई भी वनस्पति नंदा देवी ग्लेशियर में नहीं उगती है। हालांकि, जब हम नीचे की और आते हाईन तो ये धीरे-धीरे अधिक नाजुक शैवाल, घास, और काई के रूप में उगते हैं, जबकि फूलों की घाटी में सैकड़ों फूलों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से कई दुर्लभ और लुप्तप्राय हैं।

फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का ही हिस्सा है और एक फूलों की घाटी का नाम है, जिसे अंग्रेजी में Valley of Flowers कहते हैं। हिमालय क्षेत्र पिंडर घाटी अथवा पिंडर वैली के नाम से भी जाना जाता है, किंवदंती है कि रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे। इस घाटी का पता सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ ने लगाया था, जो संंयोग से 1931 में अपने कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे। इसकी बेइंतहा खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में इस घाटी में वापस आये और, 1938 में “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” नाम से एक किताब प्रकाशित करवायी। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरा हुआ और फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों से सजा हुआ यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों या फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल।

नंदा देवी पार्क क्षेत्र में हिमालयी काले भालू, हिम तेंदुआ, गोरल (एक बकरी की तरह दिखने वाला छोटा जीव), भारल (नीली भेड़), और हिमालयन ताहर (बड़ी पहाड़ी बकरी) जैसी जानवरों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। तेंदुआ, साधारण लंगूर, हिमालयी कस्तूरी मृग, और हिमालयी ताहर, भरल, हिमालयी भालू भी बहुतायत में देखे जाते हैं। एविफ़ुना की लगभग 80 प्रजातियाँ पायी जाती है.  नंदा देवी जैव मंडल में पक्षियों की लगभग 130, तितलियों की 40 और मकड़ियों की भी लगभग 40, प्रजातियाँ पाई जाती हैं। 

नन्दादेवी राष्ट्रीय अभयारण्य लगभग 630.33 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ उत्तर-भारत का विशालतम अभयारण्य है। वैली ऑफ़ फ्लावर्स नेशनल पार्क ८७.५० किमी क्षेत्र मैं फैला हुआ है जिसे सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था तथा फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान सहित सन् 1988 में विश्व संगठन युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया जा चुका है। यह नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान ६३०.३३ वर्ग कि॰मी॰ के क्षेत्र में फैला हुआ है और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर नन्दा देवी बायोस्फ़ियर रिज़र्व बनता है जिसका कुल क्षेत्रफल २२३६.७४ वर्ग कि॰मी॰ है और इसके चारों ओर ५१४८.५७ वर्ग कि॰मी॰ का मध्यवर्ती क्षेत्र है। यह रिज़र्व युनेस्को की विश्व के बायोस्फ़ेयर रिज़र्व की सूची में सन् 2004 से अंकित किया जा चुका है।

यह पार्क गढ़वाल हिमालय के भीतर चमोली जिले में अवस्थित है। इसमें ऋषि गंगा, धौली गंगा, धौली गंगा की एक पूर्वी सहायक नदी, जो जोशीमठ में अलकनंदा नदी में प्रवाहित होती है, का जल संग्रहण क्षेत्र शामिल है। यह क्षेत्र एक विशाल हिमनदीय घाटी है, जो एक सामानांतर श्रृंखलाओं अर्थात् उत्तर-दक्षिण उन्मुख पर्वतमालाओं द्वारा विभक्त हैं। ये पर्वत किनारा को घेरते हुए ऊपर की ओर बढ़ती हैं, जिसके साथ दुनागिरि, चांगबांग और नंदा देवी पूर्व सहित बेहतर रूप से ज्ञात लगभग एक दर्जन शिखर हैं।

नंदा देवी पश्चिम जो भारत की दूसरी ऊँची पर्वत माला है, एक छोटी पर्वत श्रेणी पर स्थित है और यह घाटी में आगे की ओर निकलती है तथा पूर्वी किनारे पर नंदादेवी पूर्व से ऊँची होती जाती है। दक्षिण-पश्चिम में त्रिशूल भी बेसिन के भीतर अवस्थित है। उपरी ऋषि घाटी, जिसे अक्सर ''भीतरी अभ्यारण्य'' के रूप में उल्लिखित किया जाता है, इसे उत्तर में चांगबांग, उत्तर ऋषि और उत्तर नंदा देवी हिमनदी द्वारा तथा नंदादेवी पर्वत के दक्षिण में दक्षिण नंदा देवी और दक्षिणी ऋषि हिमनदियों द्वारा सिंचित किया जाता है। उत्तरी और दक्षिणी ऋषि नदियों के संगम से नीचे की ओर देवी स्‍थान ऋषिकोट पर्वतमाला को काटते हुए एक चिताकर्षी संकीर्ण नदी घाटी विद्यमान है। त्रिशुली और रमणी हिमनदियां निचली ऋषि घाटी अथवा ''बाहरी अभ्‍यारण्‍य'' की विशेषताएं हैं, और इसके नीचे ऋषि गंगा संकीर्ण, सीधी खड़ी नीचे की ओर संकरी नदी घाटी में प्रवेश करती है।

उच्च ऊंचाई पर होने के कारण, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की जलवायु अलग है। वर्ष के छह महीनों के लिए, क्षेत्र एक बर्फ की चादर के नीचे रहता है। शेष वर्ष के लिए, इस क्षेत्र में जून से अगस्त तक भारी वर्षा के साथ शुष्क जलवायु होती है। अप्रैल से जून ऐसे महीने होते हैं जब तापमान थोड़ा बढ़ जाता है और वे ऐसे महीने होते हैं जब कोई इस जगह पर जा सकता है।

कैसे पहुंचे  (How to Reach Nanda Devi National Park)- 
हवाई मार्ग से - सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो की ऋषिकेश से २५ किमी  की दुरी पर है और सड़क मार्ग से सीधे जोशीमठ से जुड़ा है, जोशीमठ से 25 किमी दुरी पर लाता गाँव से ट्रैकिंग शुरू होती है। जहा से लगभग २० किमी पैदल मार्ग है। 
ट्रैन द्वारा - सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, 
सड़क मार्क से - सड़क मार्ग से राज्य के प्रमुख शहरों से जोशीमठ जुड़ा हुआ है वहां से २५ किमी दुरी पर स्थित है लाता गाँव जहाँ से ट्रैकिंग शुरू होती है जो की लगभग २० किमी की है। 


यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में लोकप्रिय राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य (Popular National Parks & Wildlife Sanctuaries in Uttarakhand)


#nanda devi national park upsc, #nanda devi national park is famous for which animal, #nanda devi national park trek, #nanda devi national park in hindi, #nanda devi national park animals, #nanda devi national park in india map, #nanda devi national park kahan hai, #nanda devi national park tour package, #nanda devi national park , #how to reach nanda devi national park, #joshimath to nanda devi national park, #best time to visit nanda devi national park, #which river flows through nanda devi national park,

No comments:

Post a Comment