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September 8, 2021

अरसा (Arsa) - क्यों और कैसे बनती है उत्तराखंड की ये स्वादिष्ठ मिठाई

अरसा (Arsa)

बेहद खास मौके पर बनाई जाती है उत्तराखंड की ये मिठाई

एक बार खाएंगे तो कभी नहीं भूल पाएंगे इसका स्वाद

अरसा उत्तराखंड की बेहद खास मिठाई है। स्वाद की बात करें तो यदि आप एक बार खा लें तो इसकी मिठास कभी नहीं भूल पाएंगे। स्वाद और सेहत से भरपूर इस पकवान की खासियत यह है कि इसे गरमागरम खाओ या एक महीने बाद स्वाद में कोई फर्क नहीं मिलेगा, इसे बहुत समय तक रख सकते है यह मिठाई ख़राब नहीं होती और हाँ जितना ज्यादा रखोगे स्वाद और मिठास उतनी ही बढ़ती जाएगी । तो आइये जानते है इस मिठाई के बारे मैं।।।।
Arsa Uttarakhand Sweet

वैसे तो आजकल की भागदौड़ की जिंदगी मैं लोग इसका स्वाद भूलते जा रहे है पर गढ़वाल के क्षेत्र मैं यह मिठाई आज भी सभी सुबह अवसरों पर बनाई जाती है जैसे शादी समारोह, मैं बेटी जब मायके से ससुराल जाती है तब या अन्य अवसरों पर, गढ़वाल क्षेत्र के लोग इसका खूब आनंद लेते है.

अरसालु बन गया अरसा (History of Arsa Uttarakhandi Sweet)

जानकर बताते है की यह दक्षिण भारत की एक मिठाई अरसालु से ही अरसा नाम आया है इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है, कहते है की जब जगद्गुरु शंकराचार्य ने जब बद्रीनाथ, केदारनाथ और गढ़वाल के कई मंदिरों का निर्माण करवाया था तो इन मंदिरों में पूजा करने के लिए दक्षिण भारत के ब्राह्मणों को रखा जाता है। कहा जाता है की नौवीं सदी में दक्षिण भारत से ये ब्राह्मण जब गढ़वाल आए तो अपने साथ एक मिठाई अरसालु लेकर आए थे। चूंकि लंबे समय तक रखने पर भी खराब नहीं होती थी, इसलिए वो पोटली भर-भरकर अरसालु लाया करते थे। धीरे-धीरे इन ब्राह्मणों ने स्थानीय लोगों को भी इसे बनाने की विधि सिखाई। और इस तरह गढ़वाल पहुंचकर अरसालु बन गया अरसा। इसे बनाने के लिए गढ़वाल में गुड़ का इस्तेमाल होता है, जबकि कर्नाटक में खजूर के गुड़ का प्रयोग किया जाता है। धीरे-धीरे ये गढ़वाल की लोकप्रिय मिठाई बन गई।

अरसा बनाने का तरीका (Receipe of Making Arsa Uttarakhandi Sweet) -

  1. चावल को साफ कर उसे अच्छी तरह धोने के बाद रातभर के लिए पानी में भिगोकर छोड़ दीजिये। 
  2. सुबह चावल को पानी से निकाल कर सूती कपड़े के ऊपर सुखा लीजिये। 
  3. पानी सूख जाने के बाद उसे मिक्सर में दरदरा (पूरा बारीक़ नहीं) पीस (गाँवों मैं तो ओखली के अंदर इसे कूटते है और फिर चलनी से छान लेते है) लेते है, 
  4. एक बर्तन मैं गुड़ की चासनी बना लेते है जिसे पाक लगाने की विधि कहते है। ध्यान रखने की इस चासनी को तेल मैं डाल कर चेक करते रहें जब पाक तेल को पकड़ना बंद कर दे समझ लीजिये पाक तैयार है।  
  5. चासनी तैयार हो जाने के बाद चासनी और चावल के उस दरदरे आटे को घी मिलाकर अच्छी तरह गूंथ लिया जाता है। उसके बाद छोटी छोटी लोई (मोटी मोटी पूरी) बना कर मनचाहे शेप में ढाला जाता है, गढ़वाल क्षेत्रों मैं यह कई जगह पर बड़ी बड़ी पूरी के आकर मैं बनाई जाती है और कई जगहों पर यह छोटी कचौड़ी के आकर की बनाई जाती है। 
  6. एक कढ़ाई में हलकी आंच पर तेल मैं अरसा की सुनहरा होने तक उसमें तलते रहें ।
लो जी बनकर तैयार है आपकी पसंदीदा मिठाई अरसा, फिर चाहें तो आप इन्हें गरम-गरम खा सकते है या फिर सप्ताह भर बाद या महीनो बाद...इसका न स्वाद बदलेगा न सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।


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