हर साल की तरह यह साल भी बीत गया और अब आगाज़ हुआ है नये साल का
"नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें"
(Happy New Year)
हर साल की तरह यह साल भी बीत गया और अब आगाज़ हुआ है नये साल का. हर साल की तरह हम इस साल का भी बड़े उल्लास और उमंग से स्वागत करेंगे. क्योकि हम मानते है की नया साल हमारे पुराने साल से बेहतर होगा. जिसमे सभी के लिए बहुत सारी खुशियाँ हो. इसलिए हम सभी को दिल से शुभकामनाएँ देंगे और ढेर सारी शुभकामनाएँ लेंगे भी. लेकिन क्या हमने कभी यह सोचा है कि हमें जितनी भी शुभकामनाएँ मिलती हैं, उनमें से कितनों को हमने सच करके दिखाया है? जी हाँ, सपने स्वयं सच नहीं होते, उन्हें सच करना पड़ता है. हर साल जनवरी आते ही हम सब अति उत्साह में आ जाते हैं. कोई अपने लिए नए संकल्प की लिस्ट बनाता है, कोई समाज सेवा की सोचता है तो कोई खुद में बदलाव लाने के लिए किसी जिम या क्लास की सदस्यता लेने की सोचता है. नया साल लोगों में एक अजीब सी सकारात्मक उर्जा भर देता है.
बहुत कुछ बेहतरीन करने की चाह में जिस बात की ओर हमारा ध्यान नहीं जाता वह यह है कि अपनी ज़िंदगी में कुछ नया जोड़ने के लिए हम अपने जीवन में किसी के लिए कुछ जगह बनाने की बजाय अपनी जिंदगी को कई नयी चीज़ों या उम्मीद से लाद देते हैं. कुछ नया सोचना गलत नही है. बल्कि जीवन को बोझ तले दबा कर आगे बढ़ना गलत है. पुराने साल में जो सपने हमारे अधूरे रह गये है, उसे नये साल में पूरा करें. फिर देखिए आपको जीवन में कोई मलाल नही होगा. आप अपने नये सपने को पूरा करने में अपना शत प्रतिशत दे पायेंगे.
नये साल की शुरुआत अपनी ऊर्जा का नवीनीकरण करने और कुछ पुरानी इच्छाओं व संकल्पों को पूरा करने का सुनहरा मौका है – स्वास्थ्य, घर या ऑफीस के परिवेश में व्यवस्था, कुछ रोचक सुरुचिपूर्ण काम, आर्थिक नियोजन, देशहित में कुछ कार्य, बच्चों के लिए कुछ प्लान और ऐसे ही बहुत से मोर्चों पर आप और हम कुछ ना कुछ नया करने के बारे में सोच-विचार करते ही हैं. नया साल ज़िंदगी को बुहारने-चमकाने का बेहतरीन बहाना है. यह आने वाली जिंदगी की किताब का कोरा कागज है जिस पर अगले 12 महीने तक बहुत कुछ लिखा जायेगा. अब यह हमें ही निश्चित करना है की हम क्या लिखना पसंद करते है. कुछ नया या वही पुरानी यादें जिसे हम आगे भूलना चाहते है. पुराने साल के दुख भरे अनुभव को अलविदा कीजिये और अच्छे अनुभव को लेकर नये साल में आगमन कीजिए. जो बीत गया उसे याद करके हम अपने नये साल रूपी किताब को दुखों से ही भर देंगे, फिर बहुत कुछ फिर से पीछे छूट जायेगा. जो की अंत में हमें कड़वाहट ही देगा.
भले ही इस नये वर्ष के दिन नया जैसा कुछ भी नही होता –ना मौसम, ना प्रकृति और ना ही आसपास का अन्य कुछ भी. यदि आप सचमुच में नये साल को सार्थक और खुशनुमा करना चाहते है, तो जरूरी है कुछ ऐसे नए कार्य की शुरूआत करें कि पूरा साल अपने पिछले साल की तुलना में नया बनकर हमारे जीवन को सार्थक कर दें. अन्यथा यह साल भी, जो अभी तक नया नजर आ रहा है, कुछ समय के बाद पिछले साल जैसा ही लगने लगेगा. क्या आपको नहीं लगता अब तक हम अपनी जिन्दगी को कुछ इसी तरह आगे बढ़ा रहे थे?
जो बीत गया उसके साथ हमारी बहुत सी यादें जुड़ी हुई है कुछ खट्टी तो कुछ मीठी. कई पल रोकर बिताये तो कुछ पल हँस कर. कुछ अपनों का साथ फिर से मिला तो कुछ अपनों का साथ छूटा. कुछ इच्छायें पूरी हुई तो कुछ अधूरी रह गई. जो कुछ भी अधूरा है उसे पूरा करने का मौका देता है नया साल. नव वर्ष हमें कहता है जो भी अधूरा है उसे पूरा करने में जुट जाओं. अभी भी तुम्हारे पास समय है. अपने सपनों को पूरा करने की एक ओर कोशिश करो. क्या पता यह साल तुम्हें तुम्हारे सपनों की खुशी दें जायें. क्योकि चलती का नाम जिंदगी है, जहां रुके वही बहुत कुछ तुमसे आगे निकल जायेगा. इसलिए नये साल के नये पल को हमें जिभर कर जीना है. नये साल में अपने हर वादें को पूरा करना है, अपने इरादों को पहले की तुलना में ओर भी मजबूत करना है और यह संकल्प करना है की जो भी करे कुछ ऐसा करे जिससे दूसरों की दुआओं के पहले हकदार हम ही हो. किसी गरीब को उसका हक दिलाए या उसकी कोई आर्थिक मदद कर दें. किसी दुखी को मुस्कुराने की खुशी दें, मानवता सर्वोपरि है इसका ज्ञान रखते हुए जात-पात से दूर रहे, राष्ट्रहित में अपनी ईमानदारी दिखाए. हमारे इर्द-गिर्द जो गलत हो रहा है उसका विरोध करें. दूसरों पर आरोप लगाने से पहले खुद का आंकलन करे हम क्या कर रहे है और अब हमे आगे क्या करना है. जो अच्छा कर रहा है उसकी प्रशंसा करे, उसकी हौसला अफजाई करें, उसे आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करें.
जिस तरह हम अपना घर साफ रखते है ठीक उसी तरह अपने आस-पास के परिसर को भी साफ रखे. बल्कि यह भी संकल्प ले की आप देश को स्वच्छ रखने में भी अपना पूरा योगदान देंगे और इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करेंगे. अपनें बच्चों को भी यह संस्कार दें की बड़ों का सदैव सम्मान करें. हमारे मन में यह विचार कभी नही आना चाहिए की हम अकेले भला क्या कर सकते है. जरूरी यह नही की हमारे साथ लोगों की संख्या ज्यादा हो, जरूरी तो यह है की लोग भले ही कम हो, लेकिन उनके हौसले बुलंद हो. उनमें कुछ कर गुजरने की चाहत हो. जिनमे हम संगठित होकर नये साल के लिए बनाए गये लक्ष्यों को पूरा कर सके. एक बात सदैव याद रखिए, हर अच्छे काम की शुरुआत अकेले से ही होती है. काफ़िला तो बाद में जुड़ता है. क्या पता नये साल पर हमारी यह एक कोशिश शायद राष्ट्रहित की ओर एक बहुत बड़ा कदम हो.
यह सत्य है नया वर्ष हमें नये संकल्प लेने का एक ओर अवसर देता है. एक ऐसा संकल्प, जिसे हम बिना रुके साल भर तक निभाते रहें और जब किसी संकल्प को पूरी ईमानदारी के साथ साल भर निभाया जायें, तो वही संकल्प हमारी आदत बन जाती है. यही आदत हमारे व्यक्तित्व में निखार लाता है. तो चलिए हम और आप इस नये साल के अवसर पर कोई एक संकल्प लें. फिर चाहे वह संकल्प कितना भी छोटा क्यों ना हों.
नए साल पर क्या संकल्प लें (New Year's Resolution)
यह संकल्प बहुत सोच-विचार और पूरे एकाग्रचित से लिया जाना चाहिए और फिर परिस्थिति चाहें जैसी भी उस संकल्प को हर हाल में पूरा करना है. हमारे स्वयं के लिए इस तरह के कई संकल्प हो सकते हैं जैसे-
- मुझे सुबह जल्दी उठना है.
- मैं कोई भी काम को टालने के बजाय उसे जल्द पूरा करने की कोशिश करूँगा.
- मैं लोगों के साथ अपने संबंधों को मधुर बनाऊँगा और बहुत महत्व भी दूँगा.
- मैं प्रतिदिन कम से कम चार घण्टे पढूँगा.
- मैं देश हित को प्राथमिकता दूँगा.
- मैं अपने हित के लिए कभी झूठ नहीं बोलूँगा. आदि-आदि.
- मैं अपने क्रोध पर नियंत्रण रखूँगा.
- मैं आलस्य को त्याग दूँगा.
- मैं ईर्ष्या-द्वेश के भाव को समाप्त कर दूँगा.
- मैं अपनी बुरी लत को नष्ट करूँगा जैसे – सिगरेट पीना, तम्बाकू खाना, शराब पीना आदि-आदि.
संसार के विभिन्न त्योहार रीत-रिवाज हमारी जड़ता को खंडित कर हमें गतिशील बनाये रखने का काम करते है. ये पल हमारे जीवन में रंग भरते है. जिससे हमारी आंतरिक उर्जा पूरे जोश के साथ अपने सपनों को पूरा करने में लग जाती है. लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है हमारी आज की पीडी उत्सव को सैर-सपाटा, खाना-पीना और खरीदारी तक ही सीमित रखती है. नया साल भी लगभग इसी में शामिल हो गया है- शुभकामनाएँ देने और खा-पीकर, मौज-मस्ती करने तक. यदि इस मौज-मस्ती से मन के अंदर एक नई ऊर्जा का संचार नहीं होता, तो समझ जाना चाहिए नया वर्ष मनाना व्यर्थ है. साथ ही समय और पैसे की बर्बादी भी तय है. अब आप ही सोचिए आपको अपना नया साल कैसा चाहिए. आप अपने बच्चों के आदर्श है. आपका बच्चा आपका ही प्रतिबिंब बनता है. इसलिए नव वर्ष का संकल्प क्या होगा यह आप तय कीजिए.
नूतन वर्ष हमारा आव्हान कर रहा है की हम कुछ नया करें. तो आइये हम और आप मिलकर कुछ ऐसा करें जिससे हम गर्व से कह सके की हम पुरुष-नारी या जाती-धर्म से पहले इंसान है, मानवता ही हमारा धर्म है, हम सब एक है. तो क्या आप भी हमारे साथ संकल्प ले रहे है- इस नये साल को पहले की तुलना में बेहतर बनाने का……..
“बीत गया जो साल, भूल जाएँ,
इस नए साल को गले लगायें.
करते है दुआ हम रब से सर झुका के.
नये साल के सारे सपने पुरे हो आपके”
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