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November 7, 2016

Last Indian Village Mana (भारत का आखिरी गांव माणा)

भारत का आखिरी गांव माणा

आखिर क्यों खास है यह भारत का आखिरी गांव माणा (Why Mana Village Popular)

Last India Village Mana

दुनिया भर में प्रसिद्ध है यह गाँव, अगर आप बद्रीनाथ, उत्तराखंड में है, तो आप माणा गाँव नहीं गए तो आप भारत के आखिरी गाँव नहीं गए, भारत की अंतिम चाय की दुकान मैं तुलसी के पत्तो की चाय नहीं पी पाए, भीम पुल के दर्शन नहीं कर पाए, परंतु ऐसा शायद ही कभी किसी ने किया। बद्रीनाथ  से 3 किमी ऊंचाई पर बसा हुआ है। माणा समुद्र तल से लगभग 10,000 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। यह गांव भारत और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है। माणा गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ कई अन्य कारणों की वजह से भी मशहूर है। इस गांव में रडंपा जाति के लोग रहते हैं। इस गांव की आबादी बहुत ही कम है यहां पर केवल 60 ही घर है। यहां पर बने घर लकड़ी के बने हुए हैं। यहां रहने वालों लोग स्वंय ऊपरी मंजिल पर रहते हैं और जानवरों को नीचे रखा जाता है। इस गांव में चावल से शराब बनाई जाती है। इस गांव में आलू की खेती की जाती है। इस गांव में भोजपत्र बढ़ी संख्या में मिलते हैं। आपको याद होगा कि इन्हीं भोजपत्र पर गुरुओं ने ग्रंथों की रचना की थी।
Last India Village Mana

गांव के अन्तिम छोर पर व्यास गुफा के पास एक बहुत ही सुंदर बोर्ड लगा है. ‘भारत की आखिरी चाय की दुकान’ जी हां, इस बोर्ड पर यही लिखा हुआ है. इसे देखकर हर सैलानी और तीर्थयात्री इस दुकान में चाय पीने के लिए जरूर रुकता है. हालांकि चाय की दुकान तो सिर्फ नाम भर है. यहां विदेशी कोला कंपनियों की ठंड़ी बोतलों की भी व्यवस्था है.
Last Tea Shop of India

इस चाय की दुकान के संचालक चन्द्र सिंह बड़वाल हैं, पिछले लगभग 25 सालों से वे इसका संचालन कर रहे हैं. इस दुकान में आपको साधारण चाय से लेकर माणा में पी जाने वाली नमकीन गरम चाय, वन तुलसी की चाय आदि भी मिल जाएंगी. वैसे रोचक तथ्य यह भी है कि इस जगह से आगे न तो आबादी है और न ही कोई चाय की दुकान, इसलिए यह दुकान अपने नाम को सार्थक कर रही है. वे बताते है जब वह 10 साल के थे तब से यह दूकान चलते है। 

पौराणिक कथाएं (Mythology) 

माणा से कुछ ही दूरी पर सरस्वती नदी बहती है. जी हां यह वही मिथकीय सरस्वती नदी है, जिसके बारे में कहावत है कि वह पाताललोक में या अदृश्य होकर बहती है और इलाहाबाद में संगम पर गंगा व यमुना में जा मिलती है. यहां सरस्वती नदी पर मशहूर और मिथकीय भीम पुल भी है.
Bhim Pul, Mana Village


कहा जाता है कि जब पांडव स्वर्ग को जा रहे थे तो उन्होंने इस स्थान पर सरस्वती नदी से जाने के लिए रास्ता मांगा, लेकिन सरस्वती ने उनकी बात को अनसुना कर दिया और मार्ग नहीं दिया. ऐसे में महाबली भीम ने दो बड़ी शिलाएं उठाकर इसके ऊपर रख दीं, जिससे इस पुल का निर्माण हुआ. पांडव तो आगे चले गए और आज तक यह पुल मौजूद है.

यह भी एक रोचक बात है कि सरस्वती नदी यहीं पर दिखती है, इससे कुछ दूरी पर यह नदी अलकनंदा में समाहित हो जाती है. नदी यहां से नीचे जाती तो दिखती है, लेकिन नदी का संगम कहीं नहीं दिखता. इस बारे में भी कई मिथक हैं, जिनमें से एक यह है कि महाबली भीम ने नाराज होकर गदा से भूमि पर प्रहार किया, जिससे यह नदी पाताल लोक चली गई.

दूसरा मिथक यह है कि जब गणेश जी वेदों की रचना कर रहे थे, तो सरस्वती नदी अपने पूरे वेग से बह रही थी और बहुत शोर कर रही थी. आज भी भीम पुल के पास यह नदी बहुत ज्यादा शोर करती है. गणेश जी ने सरस्वती जी से कहा कि शोर कम करें, मेरे कार्य में व्यवधान पड़ रहा है, लेकिन सरस्वती जी नहीं मानीं. इस बात से नाराज होकर गणेश जी ने इन्हें श्राप दिया कि आज के बाद इससे आगे तुम किसी को नहीं दिखोगी.

वसुधारा वॉटर फॉल: भीमपुल से 5 किमी की दूरी पर वसुधारा वॉटर फॉल है। इस वॉटर फॉल में पानी 400 फीट ऊंचाई से गिरता हुआ एकदम मोतियों की बौछारों की तरह लगता है। इस वॉटप फॉल को लेकर मान्यता है कि इस झरने का पानी पापियों को नहीं भिगाता है।

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