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October 29, 2021

भगवान विष्णु के पांच पौराणिक धाम "पंचबद्री" (पाँच बद्री) (Uttarakhand Panch Badri Dham Temple)

भगवान विष्णु के पांच पौराणिक धाम "पंच बद्री" (पाँच बद्री)

(Uttarakhand Panch Badri Dham Temple)

पंच बद्री पंच केदार, शुरू करते है लोकगायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी जी के एक गाने के बोल से "पंच बद्री, पंच केदार, पंच प्रयाग यखी छन्न, पंच पंडो ऐनी यखी, भाग हमर धन धन्न", देवभूमि उत्तराखंड के चार धाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख धर्म स्थलों मैं से एक है और जब भी केदार नाथ और बद्री नाथ की बात की जाती है तो उनमे पंच केदार और पंच बद्री के नाम भी साथ मैं आते है, हिन्दू दरम मैं जितना महत्व केदारनाथ और बद्रीनाथ को दिया जाता है उतना ही पंच बद्री और पंच केदार को भी दिया जाता है, महादेव को समर्पित पंच केदार जो की केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर महादेव है और (पंच बद्री कौन-कौन से हैं?) भगवान विष्णु को समर्पित पंच मंदिर विशाल बद्री, आदि बद्री, वृद्ध बद्री, योगध्यान बद्री और भविष्य बद्री के समूह को पंच बद्री के नाम से जाना जाता है।

1. बद्रीनाथ धाम, चमोली, उत्तराखंड (Badrinath Temple, Chamoli, Uttarakhand) - 

उत्तराखंड के चमोली जिले मैं अलकनंदा नदी के तट पर समुद्र तल से लगभग ३००० मीटर (१०८२७ फीट) की ऊंचाई पर स्थित है भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ धाम मंदिर जो की हिन्दुओं के पवित्र धामों मैं से एक है, माना जाता है कि आदि शंकराचार्य, आठवीं शताब्दी के दार्शनिक संत ने इसका निर्माण कराया था। इसके पश्चिम में 27 किमी. की दूरी पर स्थित बदरीनाथ शिखर कि ऊँचाई 7,138 मीटर है। बदरीनाथ में एक मंदिर है, जिसमें बदरीनाथ या विष्णु की वेदी है। यह 2,000 वर्ष से भी अधिक समय से एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान रहा है।

2. आदि बद्री मंदिर, चमोली, उत्तराखंड (Adi Badri Temple, Chamoli, Uttarakhand) - 

उत्तराखंड के चमोली जिले मैं कर्णप्रयाग से १९ किमी की दुरी पर रानीखेत मार्ग पर स्थित है आदि बद्री का मंदिर, यहाँ पर भगवान विष्णु तीन फुट ऊँची एक काली पत्थर की मूर्ति मैं विराजमान है, ऐसा मन जाता है की कलयुग मैं भगवान बिष्णु बद्रीनाथ जाने से पहले सतयुग, त्रेता और द्वापर युग मैं आदि बद्री मैं रहते थे, प्राचीन पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु कलयुग का अंत होने पर भविष्य बद्री मैं अपना स्थान स्थानांतरित कर देंगे।  एक और कथानुसार महर्षि वेद व्यास जिनको चारों वेदों - ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्वेद का जनक माना जाता है, ने भगवत गीता भी आदि बद्री मैं लिखी थी खुद भगवान विष्णु ने स्वयं ज्ञान दिया था।  

3. भविष्य बद्री मंदिर, चमोली, उत्तराखंड (Bhavishya Badri Temple, Chamoli, Uttarakhand) - 

जोशीमठ से १७ किमी दुरी पर सुभैन गाँव मैं २७४४ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है भविष्य बद्री का मंदिर, भगवान बिष्णु को समर्पित यह मंदिर पंच बद्री मंदिर मैं से एक है, भविष्य बद्री को भगवान विष्णु का भविष्य का निवास स्थान माना जाता है कहते है की जब आदिगुरु शंकराचार्य भगवान बद्री विशाल को तप्त कुंड से ले गए तो एक भविष्यवाणी हुई की जब मानव जाती पर कलयुग का अंत आएगा तो भगवान विष्णु इसी स्थान पर अपना निवास करेंगे इसी कारण इस स्थान को भविष्य बद्री का नाम दिया गया, भविष्यवाणी के अनुसार कलयुग के अंत में विनाशकारी भूस्खलन से बद्रीनाथ धाम मार्ग अवरूद्ध हो जाएगा। भूस्खलन तब होगा जब जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में नरसिंह की मूर्ति का दाहिना हाथ नीचे गिर जाएगा तब भगवान बद्री इसी स्थान पर प्रकट होंगे। इसलिए 'भविष्य बद्री' कहा जाता है क्योंकि यह भगवान बद्रीनाथ का नया पूजा स्थल होगा।

4. योगध्यान बद्री मंदिर, चमोली, उत्तराखंड (Yogdhyan Badri Temple, Chamoli, Uttarakhand) - 

योगध्यान बद्री मंदिर पांडुकेश्वर नामकस्थान पर है जो की जोशीमठ से २० किमी की दुरी पर स्थित है, यहाँ पर भगवान विष्णु की योगध्यान मुद्रा मैं पूजा अर्चना की जाती है, पौराणिक कथाओ के अनुसार राजा पाण्डु ने इसमंदिर मैं भगवान विष्णु की मूर्ति को ध्यान मुद्रा (योगध्यान) मैं स्थापित किया था


5. वृद्ध बद्री, चमोली, उत्तराखंड (Vridh Badri Temple, Chamoli, Uttarakhand) - 

उत्तराखड के चमोली जिले के अनिमठ के हेलंग के आगे कल्पेश्वर महादेव मंदिर के आगे स्थित है भगवान विष्णु के पंच बद्री का पांचवा बद्री वृद्ध बद्री का मंदिर जो समुद्र तल से १३८० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब महर्षि नारद ने भगवान बिष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस स्थान पर तपस्या की थी, प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने बड़े व्यक्ति के रूप मैं नारद के सामने प्रकट हुए और उनकी प्रार्थना को स्वीकार किया था, कहा जाता है इस मूर्ति को विश्वकर्मा द्वारा बनाया गया था और इसकी खोज आदि गुरु शंकराचार्य ने की और भगवान विष्णु के वृद्ध रूप को इस मंदिर मैं पुनः स्थापित किया। 


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