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September 12, 2021

चैती देवी मन्दिर (Chaiti Devi Temple, Kashipur)

चैती देवी मन्दिर 

(Chaiti Devi Temple, Kashipur)

चैती देवी मन्दिर (जिसे माता बालासुन्दरी मन्दिर भी कहा जाता है) उत्तराखण्ड के उधमसिंहनगर जिले में काशीपुर कस्बेे में कुँडेश्वरी मार्ग पर स्थित है। यह स्थान महाभारत से भी सम्बन्धित रहा है और 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां प्रतिवर्ष चैत्र मास की नवरात्रि में चैती मेला (जिसे चैती का मेला भी कहा जाता है) का आयोजन किया जाता है। यह धार्मिक एवं पौराणिक रूप से ऐतिहासिक स्थान है और पौराणिक काल में इसे गोविषाण नाम से जाना जाता था। इस स्थान पर भगवान विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से माता सती के अंगों को काट दिये जाने के बाद माता की दायीं भुजा यहां गिरी थी। तभी यहां माता की कोई मूर्ति नहीं बल्कि एक शिला पर उनकी दायीं भुजा की आकृति गढी हुई है, उसी की पूजा की जाती है। बालासुन्दरी के अलावा यहाँ शिव मंदिर, भगवती ललिता मंदिर, बृजपुर वाली देवी के मंदिर, भैरव व काली के मंदिर भी हैं। माँ बालासुन्दरी का एक स्थाई मंदिर पक्काकोट मोहल्ले में अग्निहोत्री ब्राह्मणों के क्षेत्र में स्थित है। इन ब्राह्मण परिवारों को स्थानीय चंदराजाओं से यह भूमि दानस्वरूप प्राप्त हुई थी। बाद में इस भूमि पर बालासुन्दरी देवी का मन्दिर स्थापित किया गया । बालासुन्दरी की प्रतिमा स्वर्णनिर्मित बताई जाती है।

Chaiti Devi Temple, Kashipur

मंदिर के मुख्य पंडा विकास अग्निहोत्री बताते हैं कि उनके पूर्वज गया दीन और बंदी दीन कई सौ वर्ष जब यहां से गुजर रहे थे तभी उन्हें यहां पर दिव्य शक्ति होने का अहसास हुआ और उन्हें देवी का मठ मिला। उन्होंने यहां पर भव्य मंदिर बनाने के लिए तत्कालीन शासकों से कहा। उस समय भारत पर औरंगजेब का शासन चलता था। औरगंजेब ने यहां पर मंदिर बनाने से मना कर दिया। इस बीच औरगंजेब की बहन जहांआरा का स्वास्थ्य खराब हो गया। उस पर किसी की भी दवा का असर नहीं हो रहा था। माता ने बाल रूप में जहांआरा को दर्शन दिए और उसे कहा कि उसका भाई औरंगजेब मंदिर का जीर्णोद्वार कराये तो वह स्वस्थ हो जायेगी। यह बात जब जहांआरा ने औरंगजेब को बताई तो उसने खुद अपने मजदूर भेज कर मंदिर का जीर्णोद्वार कराया। आज भी मंदिर के उपर बनी मस्जिद नुमा आकति एवं तीन गुंबद इस बात को प्रमाणित करते हैं। मंदिर परिसर में एक विशाल कदंब का वृक्ष है, जो नीचे से खोखला होने पर भी उपर से हरा भरा है। इसे मां की महिमा का प्रतीक माना जाता है। माता को छाया देने के लिए एक ऐसा वृक्ष खडा है। जिसमें पीपल, पिलखन, बरगद, गूलर व आम की पत्तियां हैं। जो भी भक्त श्रद्वा पूर्वक यहां आता है मां बाल सुंदरी उसकी सद्इच्छा को अवश्य पूर्ण करती है।


कैसे पहुंचे (How to Reach Chaiti Devi Temple)

हवाई मार्ग द्वारा (By Air) - सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंत नगर है जोकि सड़क मार्ग द्वारा लगभग ६० किमी दुरी पर स्थित है। 

रेल मार्ग द्वारा (By Train) -  सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काशीपुर स्टेशन है जो की मंदिर से लगभग ३.५ किमी की दूरी पर स्थित है।  

सड़क मार्ग से (By Road) -  चैती देवी का मंदिर काशीपुर बस स्टैंड से लगभग २.५ किमी दूर काशीपुर-बाजपुर मार्ग पर है जहाँ आसानी से पंहुचा जा सकता है। बड़े शहरो से सार्वजानिक परिवहन की सुविधा उपलब्ध है। 



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